शांतिरक्षण गतिविधियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव ज्यां-पियरे लैकरोई ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में कहा, ”शांतिरक्षण में सुधार मूल रूप से एक सामूहिक प्रयास है।”
संयुक्त राष्ट्र सचिवालय, सदस्य देशों, शांतिकर्मी देने वाले देशों, मेजबान देशों और क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा, ”हमारे मिशन, उद्देश्य के अनुरूप हों और सही ढंग से काम करें इसके लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा।”
श्री लैकरोई ने अपने संगठन द्वारा उठाए गए कदमों और उनके परिणामों का विवरण दिया। इनमें एक प्रमुख क्षेत्र शांतिरक्षकों के कार्य प्रदर्शन के आकलन का है।
उन्होंने 15 सदस्यों की परिषद को बताया, ”हम ऐसी नीतियां और मूल्यांकन प्रणाली अपना रहे हैं जिससे हम सब, सामूहिक रूप से शांतिरक्षण गतिविधि को मजबूत करने और वर्दीधारी तथा असैनिक सभी शांतिरक्षकों को बेहतर सहारा देने के अपने प्रयासों को उन्नत तरीके से ढाल सकेंगे।”
संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण गतिविधि प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि सफलता के लिए सभी संबद्ध पक्षों और खासकर सदस्य देशों की एकजुटता और सक्रियता आवश्यक है।
उन्होंने विशेष तौर पर सदस्य देशों से आग्रह किया, ”कि वे संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण गतिविधियों के विकास का आकलन करें।” इसके लिए वे मौके पर जाएं और अपने मूल्यांकन के नतीजे संगठन को बताएं।
फोटो : यूएनफोटो/मैनुअल इलियासः सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण गतिविधि अवर महासचिव ज्यां-पियरे लैकरोई ।
उन्होंने उन्नत सैन्य क्षमता वाले देशों से यह आग्रह किया कि वे संयुक्त राष्ट्र शांति गतिविधियों के लिए अधिक सैनिक और पुलिसकर्मियों के अलावा महत्वपूर्ण उपकरण और व्यवस्था संबंधी सहायता भी दें। इनमें हैलीकॉप्टर, देसी बमों को निष्क्रिय करने की क्षमता, त्वरित कार्रवाई बल और चिकित्सा सहायता शामिल है।
उन्होंने सैन्य और पुलिसकर्मी देने वाले देशों से आग्रह किया कि इन कर्मियों की तैनाती से पहले इन्हें बेहतर प्रशिक्षण दिया जाए।
श्री लैकरोई ने शांतिरक्षण गतिविधियों में स्त्री-पुरुष बराबरी की स्थिति में सुधार का उल्लेख किया। ये सुधार मुख्यालय और फील्ड दोनों जगह हुआ है, जहां महिलाओं का प्रतिनिधित्व कुछ बढ़ा है।
उन्होंने कहा, ”ऑफिस ऑफ मिलिट्री अफेयर्स में तैनात सभी अधिकारियों में अब 18 प्रतिशत महिला अधिकारी हैं और हम इस अनुपात को बढ़ाकर रहेंगे। फील्ड में हमारे व्यक्तिगत पुलिस अधिकारियों में 21 प्रतिशत अब हमारी गठित पुलिस इकाइयों में 7 प्रतिशत महिला पुलिस अधिकारी हैं।
अपनी प्रस्तुति के अंत में उन्होंने सामाजिक संगठनों के साथ सशक्त भागीदारी के महत्व पर भी बल दिया। यह भागीदारी खासतौर पर संयुक्त राष्ट्र कर्मियों द्वारा यौन शोषण और दुराचार रोकने के लिए चल रहे प्रयासों के साथ-साथ जवाबदेही सुनिश्चित करने तथा पीड़ितों को सहारा देने के लिए आवश्यक है। इस संदर्भ में उन्होंने सैन्य योगदान करने वाले देशों से आग्रह किया कि वे गलत आचरण के आरोपों की जांच छ: महीने के भीतर पूरी करें। संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं को अपना काम पूरा करने के लिए यही समय-सीमा दी गई है।
उन्होंने कहा, ”संयुक्त राष्ट्र, सदस्य देश और सामाजिक संगठन मिलकर काम करेंगे तभी इस आचरण पर रोक लग सकेगी, जो पीड़ितों को अपूरणीय क्षति पहुंचाता है और सम्मान के साथ सेवा करने वाले हजारों संयुक्त राष्ट्र कर्मियों की छवि को धूमिल करता है।”
फोटो : यूएनफोटो/लॉय फैलिप
कीपिंग चिल्ड्रन सेफ एनजीओ की सीईओ सारा ब्लैकमोर, संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण गतिवधियों के बारे में सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए।
श्री लैकरोई के साथ गैर-सरकारी संगठन कीपिंग चिल्ड्रन सेफ की सीईओ सारा ब्लैकमोर ने सुरक्षा परिषद की बैठक में ऐसी मजबूत संरक्षण प्रणालियों का आग्रह किया जो दुराचार होने न दें और यदि हो जाए तो सुनिश्चित करें कि पीड़ितों को संरक्षण एवं समर्थन मिले तथा दुराचार करने वाले कानून के कठघरे में खड़े हों।
उन्होंने कहा, ”अक्सर पीड़ितों के पास न दुराचार की सूचना देने, न चिकित्सा या मनो-सामाजिक देखभाल पाने का कोई साधन होता है और न ही न्याय तक पहुंच होती है।”
उन्होंने कहा, ”हम विश्व के नेताओं से आग्रह करते हैं कि वे उच्चतम स्तर पर बच्चों की सुरक्षा की हिमायत करें। इसके लिए जरूरी है कि शांतिरक्षण में शामिल सभी संगठन सशक्त अंतर्राष्ट्रीय बाल संरक्षण मानक अपनाएं जिनमें पीड़ितों के अधिकारों के हिमायती रखना शामिल हो।”
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मार्च में शांतिरक्षण गतिविधियों के लिए वैश्विक राजनीतिक संकल्प मजबूत करने की कोशिश में एक्शन फॉर पीसकीपिंग (ए4पी) की शुरुआत की। उन्होंने सदस्य देशों से भी आग्रह किया कि उनके साथ मिलकर परस्पर सहमति से ऐसे सिद्धांत और संकल्प विकसित करें जिससे शांति रक्षण गतिविधियां भविष्य के अनुरूप हो सकें। इस पहल का उद्देश्य वर्ष के अंत तक कोई औपचारिक समझौता कर लेना है।
इसके लिए विशेष प्रयासों में साझे संकल्पों की घोषणा (डिक्लरेशन ऑफ शेयर्ड कमिटमेंट्स) शामिल हैं जिसका अनुमोदन 11 सितम्बर तक 55 देश कर चुके थे। इसके अलावा शांति निर्माण, प्रदर्शन, नागरिकों के संरक्षण, भागीदारी, शांति गतिविधि अधिकार क्षेत्र और संसाधन तथा सुरक्षा परिषद की भूमिका जैसे राजनीतिक आयामों पर अलग-अलग परामर्श शामिल हैं।
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