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2030 तक 6.5 करोड़ से अधिक ‘लो कॉर्बन रोजगार’ सृजन संभव : संयुक्‍त राष्‍ट्र समर्थक जलवायु शिखर सम्‍मेलन का आग्रह ‘कार्रवाई अब अगले स्‍तर पर हो’

फोटो : यूएनएफसीसीसी

पैट्रेशिया एस्‍पीनोसा (मध्‍य, पृष्‍ठभूमि), संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु परिवर्तन एग्‍जीक्‍यूटिव सेक्रेटरी सितंबर, 2018 में बैंकाक में मीडिया को जानकारी दे रही हैं।

जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र समर्थित नए संकल्‍पों के फलस्‍वरूप दुनिया भर में 260 खरब डॉलर का आर्थिक लाभ हो सकता है और 2030 तक 6.5 करोड़ नए ‘लो-कार्बन रोजगार’ सृजित करने में मदद मिल सकती है। 2030 तक सतत विकास लक्ष्‍य (एसडीजी) हासिल किए जाने हैं।

सैन फ्रांसिस्‍को में आयोजित वैश्विक जलवायु कार्रवाई शिखर सम्‍मेलन के समापन पर शुक्रवार को लो-कार्बन अर्थव्‍यवस्‍था की तरफ बढ़ने के ऐसे कुछ अवसरों की जानकारी दी गई।

इस शिखर सम्‍मेलन में दुनिया भर के राष्‍ट्रीय, क्षेत्रीय और शहरी नेताओं के साथ कारोबारियों, निवेशकों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने मिलकर चर्चा की ताकि विश्‍व के बढ़ते तापमान को 2015 के पहले जलवायु समझौते के अनुरूप 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखा जा सके।

‘अपनी सामूहिक महत्‍वाकांक्षा को अगले स्‍तर तक’ ले जाने के संकल्‍प के साथ प्रतिनिधियों ने 5 विशेष क्षेत्रों पर ध्‍यान दिया।

  • स्‍वच्‍छ ऊर्जा प्रणालियां :60 से अधिक राष्‍ट्रीय, क्षेत्रीय और नगर सरकारों के गठबंधन ने 470 अरब डॉलर से अधिक के राजस्‍व वाली 23 बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर शत-प्रतिशत शून्‍य उत्‍सर्जन लक्ष्‍यों का संकल्‍प लिया।
  • आर्थिक वृद्धि : 38 देशों की 488 कंपनियों नेपेरिस समझौते के अनुरूप उत्‍सर्जन कम करने के लक्ष्‍य अपनाए- यह संख्‍या पिछले वर्ष से 40 प्रतिशत अधिक है।
  • संवहनीय समुदाय : 70 से अधिक बड़े शहरों ने अब 2050 तक कार्बन उत्‍सर्जन मुक्‍त होने का संकल्‍प लिया है। इन शहरों में 45 करोड़ नागरिक रहते हैं।
  • भूमि और महासागर संरक्षण :नेताओं के एक समूह के नेतृत्‍व में 100 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों को जोड़ने वाला नया गठबंधन होगा जिसका संकल्‍प वन, आहार और भूमि की संवहनीयता के लिए और अधिक कार्रवाई करना है।
  • निवेशक एजेंडा : इसमें 320 खरब डॉलर की परिसंपत्तियों के प्रबंधक करीब 400 निवेशकों ने एकजुट होकर जलवायु कार्रवाई तथा लो-कॉर्बन अर्थव्‍यवस्‍था में पूंजी का प्रवाह बढ़ाने का संकल्‍प लिया।

इस शिखर सम्‍मेलन में एक औपचारिक ‘वैश्विक जलवायु कार्रवाई अपील’ जारी की गई जिसमें कहा गया कि ”अब समय आ गया है कि सभी नेता आगे कदम बढ़ाएं।”

”हम सब एकजुट होकर ही अपने समुदायों और ऊर्जा प्रणालियों का कायाकल्‍प कर सकते हैं, रोजगार के अवसर और आर्थिक संपन्‍नता जुटा सकते हैं, अपने महासागरों और प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं और शून्‍य कार्बन विश्‍व तक का सफर पूरा कर सकते हैं।”

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि इस शिखर सम्‍मेलन ने दिखा दिया है कि, ”जलवायु कार्रवाई से कितना विशाल अवसर हाथ में आया है। वे अब पर्यावरण संरक्षण पर दांव लगा रहे हैं क्‍योंकि समझ गए हैं कि स्‍वस्‍थ पृथ्‍वी पर संपन्‍नता और शांति की राह यही है।”

संयुक्‍त राष्‍ट्र की विशेष युवा दूत जयाथमा विक्रमनायके को प्रतीक के रूप में कॉल टू एक्‍शन सौंपी गई ताकि यह बताया जा सके कि अधिक सशक्‍त विश्व के निर्माण के लिए वर्तमान पीढ़ी के निर्णयों का सबसे अधिक असर भावी पीढ़ि‍यों पर पड़ेगा।

संयुक्‍त राष्‍ट्र की ओर से कॉल टू एक्‍शन स्‍वीकार करते हुए संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु परिवर्तन एग्‍जीक्‍यूटिव सेक्रेटरी पैट्रिशिया एस्‍पीनोसा ने कहा : ”इस शिखर सम्‍मेलन और इसकी कॉल टू एक्‍शन ने जलवायु परिवर्तन का सामना करने की आवश्‍यकता की आकांक्षा बढ़ाने का हमारा सामूहिक लक्ष्‍य हासिल करने की दिशा में महत्‍वपूर्ण योगदान किया है।”

उन्‍होंने कहा, ”हमें जलवायु कार्रवाई की गति बढ़ानी चाहिए और सीओपी 24 तथा 2019 में महासचिव के जलवायु शिखर सम्‍मेलन की दिशा में ऐसा जोश पैदा करना चाहिए जिसे रोका न जा सके। यह शिखर सम्‍मेलन दुनिया भर की सरकारों को अपनी कार्रवाइयां तेज करने के लिए प्रोत्‍साहित करेगा और यह दिखाएगा कि राष्‍ट्र और क्षेत्र, नगर, कंपनियां, निवेशक और समाज जलवायु परिवर्तन का सामना करने में कितनी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।”

य‍ह शिखर सम्‍मेलन ऐसे समय हुआ जब जलवायु परिवर्तन का दुष्‍प्रभाव का बढ़ता जा रहा है। इसका प्रमाण इसी सप्‍ताह दक्षिण-पूर्व एशिया में सुपर टाइफून मैंगखुट, और अमेरिका के पूर्वी तट पर हरिकेन फ्लोरेंस के विनाशकारी तांडव के रूप में देखने को मिला जिसमें दर्जनों लोग मारे गए और अरबों डॉलर मूल्‍य की क्षति हुई।

शिखर सम्‍मेलन के दौरान यूएन एनवायरमेंट ने अपनी एमीशन गैप रिपोर्ट जारी की जिसमें जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध वैश्विक संघर्ष को आगे बढ़ाने में गैर-संबद्ध पक्षकारों की महत्‍वपूर्ण भूमिका उजागर की गई है।

यूएन एनवायरमेंट के प्रमुख ऐरिक सॉलहेम ने कहा, ”जलवायु परिवर्तन नि:संदेह हमारे युग का सबसे महत्‍वपूर्ण मुद्दा है और इस विशाल चुनौती से निपटने तथा भारी अवसरों का उपयोग करने का एक ही तरीका है कि सभी देश, संगठन और समुदाय मिलकर काम करें।”

”पिछले कुछ दिनों के दौरान हमने यह देखा है कि दुनिया भर में इन मुद्दों से निपटने के लिए विभिन्‍न समुदाय कितने बड़े पैमाने पर प्रेरणादायी काम कर रहे हैं। अगर हम पर्यावरण को अपनी पहली प्राथमिकता बना लें तो हम इस कठिन चुनौती पर विजय पा सकते हैं और हासिल कर सकते हैं अपना साझा लक्ष्‍य : सबके लिए संवहनीय विश्‍व।”

जलवायु परिवर्तन     पेरिस समझौता

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