स्वास्थ्य, जल और स्वच्छता

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विश्व की जनसंख्या का एक बटा छह हिस्सा भारत में बसता है। यहां सभी को बुनियादी स्वास्थ्य, साफ पानी और सेनिटेशन की सुविधा प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है। भारत ने पोलियो और नवजात टेटेनस के उन्मूलन में उल्लेखनीय प्रगति की है। इसके अतिरिक्त मुख्य स्वास्थ्य संकेतकों, जैसे शिशु और मातृत्व मृत्यु दर, में प्रगति और एचआईवी, टीबी और मलेरिया के मामलों में गिरावट हुई है। इनसे देश को स्वास्थ्य संबंधी सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (एमडीजीज़ 4,5 और 6) को पूरा करने में मदद मिली है।

स्वतंत्रता के बाद से भारत की जीवन संभाव्यता दोगुनी हुई है। 1947 में यह जहां 33 वर्ष थी, 2011 में बढ़कर 68 वर्ष हो गई है। यूं स्वास्थ्य और कल्याण का संबंध सीधे तौर से पर्याप्त जल आपूर्ति और फंक्शनल सैनिटेशन प्रणालियों से है। भारत ने जल और साफ-सफाई तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया है। सरकार की प्रमुख योजना स्वच्छ भारत अभियान (क्लीन इंडिया मिशन) की शुरुआत से ग्रामीण क्षेत्रों में 12 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।

चुनौतियां

पिछले 15 वर्षो में अनेक उपलब्धियों के बावजूद कई चुनौतियां शेष हैं। उत्तम और किफायती स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की समान पहुंच नहीं है और संचारी एवं गैर संचारी रोगों का गैर अनुपातिक दबाव बना हुआ है। स्वास्थ्य के लिए बजटीय आबंटन भी कम है। पिछले दशक में सरकार ने स्वास्थ्य पर जीडीपी का लगभग 1% व्यय किया जोकि विश्व के दूसरे देशों के हिसाब से बहुत कम है। खंडित योजनाओं और वर्टिकल डिजीज़ प्रोग्राम्स के कारण इस राशि का भी अच्छी तरह से उपयोग नहीं किया जा सका।

निजी क्षेत्र, जोकि 70% जनसंख्या को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करता है, अनियंत्रित (अनरेगुलेटेड) है और सार्वजनिक क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों के अभाव के बावजूद स्वास्थ्य प्रणालियों में असंतोषजनक तरीके से एकीकृत किया गया है। ग्लोबल फार्मेसी में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होने के बाद भी जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है।

साफ पानी, सैनिटेशन, ठोस कचरा प्रबंधन और जल निकासी प्रणाली के मामले में भी भारत अनेक प्रकार की समस्याएं झेल रहा है। देश के सभी नागरिकों को समान रूप से यह उपलब्ध नहीं है। देश के 90% से अधिक शहरी नागरिकों को सैनिटेशन की सुविधाएं प्राप्त हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ 39% लोगों को यह सेवा मिली हुई है। इसके अतिरिक्त देश की 44% जनसंख्या खुले में शौच के लिए अभिशप्त है।

भारत सरकार के कार्यक्रम और पहल

भारत सरकार ने अपने नागरिकों के समूचे कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है। 2005 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की स्थापना की और स्वास्थ्य देखभाल एवं सैनिटेशन को मजबूत करने के लिए ढांचागत सुधार को प्रस्तावित किया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 स्पष्ट रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को हासिल करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को व्यक्त करता है। इसमें स्वास्थ्य बजट को जीडीपी का 2.5% करने का सुझाव दिया गया है। मिशन के लक्ष्यों में रोगों के समयबद्ध उन्मूलन, समय से पहले और रोकी जा सकने वाली मृत्यु दर को कम करना, स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना शामिल है। सरकार ने 2015 में टीकाकरण के विस्तार के लिए मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की थी। सरकार स्वच्छ भारत कार्यक्रम के जरिए 2019 तक खुले में शौच को समाप्त करने के लिए व्यापक संसाधनों का निवेश कर रही है।

संयुक्त राष्ट्र का सहयोग

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के लक्ष्य को हासिल करने में संयुक्त राष्ट्र सरकार का सहयोग करेगा (एसडीजीज़ की तर्ज पर) जिससे “सभी विकासपरक नीतियों में रोकथामकारी और प्रोत्साहनपरक स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के जरिए सभी आयु वर्ग के लोगों के स्वास्थ्य एवं कल्याण के उच्चतम स्तर को हासिल किया जा सके, उत्तम स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की पहुंच बने और लोगों को स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए वित्तीय कठिनाइयों और उसके परिणामों का सामना न करना पड़े।”

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां सरकार के साथ कई उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कार्य करती हैं, जैसे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को बढ़ाना और सभी को उत्तम एवं सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की क्षमता को मजबूत करना, प्रमुख संचारी रोगों को समाप्त करना और मातृत्व एवं नवजात मृत्यु को तेजी से कम करना, पर्यावरणीय जोखिमों से निपटना, नई और फिर से लौटकर आने वाली बीमारियों के खतरे को दूर करना, सैनिटेशन कवरेज को बढ़ाना और संदूषण को कम करने के लिए जल सुरक्षा योजना बनाने में समुदायों की मदद करना।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने स्वास्थ्य, जल और स्वच्छता (सैनिटेशन) पर प्राथमिक समूह का गठन किया है। इस समूह में खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), अंतरराष्ट्रीय प्रवास संगठन (आईओएम), एचआईवी/एड्स पर साझा संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (यूएनएड्स), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए), संयुक्त राष्ट्र लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तीकरण संस्था (यूएन विमेन), संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी), विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावास कार्यक्रम (यूएन हैबिटैट) शामिल हैं।

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