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वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए भारत के पांच इनोवेशन

[vc_row][vc_column][vc_column_text]- संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन में भारतीय प्रतिनिधि, रेने वान बर्केल द्वारा लिखित

 

क्या आप जानते हैं कि विश्व में हर दस में से नौ लोग अशुद्ध हवा में सांस लेते हैं?

वायु प्रदूषण प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करता है- भले ही वह अमीर हो या गरीब, बुजुर्ग हो या युवा, पुरुष हो या महिला, शहरी हो या ग्रामीण। यह एक ऐसी समस्या है जिससे निपटने का कोई एक तरीक नहीं। जैसे वायु प्रदूषण से कारण अनेक और विविध हैं, उसके समाधान भी वैसे ही होने चाहिए। हमें वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ अनूठे तरीके अपनाने होंगे। भारतीय लोग नए विचारों से लबरेज हैं। ऐसे अनेक प्रयोग किए हैं जो #BeatAirPollution की भावना से प्रेरित हैं। ऐसे ही पांच तरीके यहां पेश किए जा रहे हैं:

1. प्रदूषण के खिलाफ क्रांति

दिल्ली स्थित चक्र इनोवेशंस ने डीजल जनरेटरों के लिए विश्व का पहला रेट्रो-फिट एमिशन कंट्रोल उपकरण बनाया है। यह ऊर्जा दक्षता को प्रभावित किए बिना एग्जॉस्ट हवा के 90% कणों को जमा करता है। फिर एग्जॉस्ट में जमा डीजल की कालिख को स्याही और पेंट में बदला जाता है।

 

2. सोलर फेरी

भारत की पहली सोलर फेरी आदित्य को नवऑल्ट सोलर एंड इलेक्ट्रिक बोट्स ने बनाया है। इसमें नेवल डिजाइन और इंजीनियरिंग, सोलर पावर और एडवास्ड कंट्रोल्स का एक साथ इस्तेमाल किया गया है। यह भारत की पहली सौर ऊर्जा चलित फेरी है जो वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक है। 75 सीटों वाली इस फेरी को 80% ऊर्जा सूरज से मिलती है और यह धूप वाले दिन 6 घंटे चल सकती है।

3. स्वास्थ्य और शुद्ध वायु के लिए क्लीन टेक

कोयंबटूर का सेलन्जाइम बायोटेक सामान्य तापमान (रूम टेम्परेचर) पर एंटीबायोटिक्स बनाने के लिए इंजीनियर्ड एन्जाइम का इस्तेमाल करता है, लेकिन सॉल्वेंट का प्रयोग नहीं करता, जोकि वायु की गुणवत्ता को सबसे अधिक प्रभावित करता है। इस नवीन उत्पादन प्रक्रिया में औद्योगिक रसायनों का इस्तेमाल नहीं होता और ऊर्जा की बचत होती है।

4. रेडिएंट हीट से कुकिंग

कोयले पर खाना पकाने की परंपरागत भारतीय तकनीक से प्रेरित होकर अग्निसम्मुख ने कमर्शियल किचन उपकरण का निर्माण किया है। यह एक ऊर्जा दक्ष रेडिएंट हीट गैस बर्नर है। इस अत्याधुनिक कुकिंग स्टोव में

30% गैस की बचत होती है, कुकिंग अच्छी होती है और कमर्शियल किचंस में वायु प्रदूषण की समस्या दूर होती है।

5. बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन

भारतीय बाजार में अब ऐसे माइक्रोवेव्स आ गए हैं जोकि संक्रामक कचरे का उपचार करते हैं और वायु उत्सर्जन कम करते हैं जिसमें मानव स्वास्थ्य और विश्व में पर्यावरण को प्रभावित करने वाले विषैले रसायन पीओपीज़ (परसिस्टेंट ऑर्गेनिक प्रदूषक) भी शामिल हैं।

 

संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन एवं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के एक साझा कार्यक्रम में ऐसे अनेक प्रयोगों के विषय में जानने को मिला। यह कार्यक्रम ग्लोबल एनवायरमेंट फेसिलिटी द्वारा वित्त पोषित था। इन प्रयोगों को वाणिज्यिक स्तर पर उतारा गया है। जलवायु परिवर्तन को काबू करने तथा टिकाऊ विकास लक्ष्यों को व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाने में मददगार 25 से अधिक उद्यमियों के विषय में ‘अ कंपेंडियम ऑफ क्लीन टेक्नोलॉजी इनोवेशंस इन इंडिया’ के जरिए अधिक जानकारी हासिल की जा सकती है।

ऐसे अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। यह कोशिश की जा रही है कि रेफ्रिजरेटेड ट्रक्स में डीजल चिलर्स का इस्तेमाल न किया जाए, रेडिएंट हीट पैनलों का इस्तेमाल करके सीमेंट के भट्ठों में ऊर्जा और उत्सर्जन को कम किया जा सके, सौर जल पम्प में सुधार हो। ये कुछ ही उदाहरण हैं। बस, भारत की सरलता और नवीनता के स्पर्श से हम सफलता हासिल कर सकते हैं।

हालांकि वायु की गुणवत्ता बदतर हो चुकी है, हम फिर भी स्वच्छ वायु के संघर्ष में जीत हासिल कर सकते हैं।

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यूएनआईडीओ के विषय में: यूएनआईडीओ संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषज्ञ संस्था है जोकि गरीबी उन्मूलन, समावेशी भूमंडलीकरण और पर्यावरणीय स्थिरता के माध्यम से औद्योगिक विकास को बढ़ावा देती है। यूएनआईडीओ का क्षेत्रीय कार्यालय प्रतिस्पर्धी उद्योग एवं उत्पादक रोजगार को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान, सूचना, नए विचारों, दक्षता और तकनीक को एकजुट करता है। इसके लिए वह क्षेत्र की सामान्य समस्याओं से निपटने के लिए सर्वोत्तम कार्य पद्धतियों और दृष्टिकोणों को लागू करता है, साथ ही पर्यावरण की रक्षा भी करता है।

वेबसाइट: www.unido.org

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