दक्षता, उद्यमिता और रोजगार सृजन

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भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावशाली तरीके से बढ़ रही है। 2012-13 में देश की जीडीपी की वृद्धि दर 5.6% थी, जोकि 2015-16 में 7.6% हो गई। अपनी वृहद जनसंख्या, उच्च निवेश और बचत दर तथा अवसंरचना के क्षेत्र में संसाधनों के आबंटन के साथ देश तेज गति से आगे बढ़ने के लिए तैयार है। लेकिन पिछले दशक में आर्थिक वृद्धि की तेज गति और गरीबी कम करने के उल्लेखनीय प्रयासों तथा समावेशी, उत्पादक और औपचारिक श्रम बाजार के बीच निरंतर अंतराल बना हुआ है। दक्षता विकास में निवेश से यह सुनिश्चित होगा कि आर्थिक और रोजगार की वृद्धि अधिक समावेशी होगी। यह भारत के जनसांख्यिकीय संक्रमण के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिनसे श्रमशील आबादी में युवाओं का एक बड़ा वर्ग पैदा किया है।

चुनौती

भारत में हर 10 में से आठ से अधिक व्यक्ति अनौपचारिक श्रम करते हैं या अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं तथा रोजगार संबंधी अधिकारों, लाभों और सामाजिक संरक्षण से वंचित हैं। गैर कृषि क्षेत्र की आधे से अधिक आबादी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कार्यरत है और रोजगार वृद्धि निम्न उत्पादकता वाले क्षेत्रों, जैसे निर्माण में केंद्रित है। पर्याप्त उत्कृष्ट और उत्पादक नौकरियों का सृजन नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त श्रम बाजार में पुरुषों और महिलाओं की भागीदारी दर में निरंतर और उल्लेखनीय विषमता कायम है।

उत्पादक और औपचारिक रोजगार सृजन इस बात पर निर्भर करता है कि पर्याप्त दक्ष श्रमशक्ति उपलब्ध है। लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि दक्षता विकास में सतत निवेश किया जाए और उद्यमशीलता के जरिए उत्कृष्ट रोजगार सृजन के अवसरों को बढ़ाया जाए। भारत में कौशल की कमी को दूर करने और रोजगारपरकता को बढ़ाने के लिए ऐसी नीतियां और रणनीतियां बनाई जानी चाहिए जो श्रम प्रासंगिक शिक्षा प्रणालियों, करियर मार्गदर्शन, जीवन कौशल और तकनीकी-व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण योजनाओं तथा औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्र में ‘ऑन द जॉब’ प्रशिक्षण पर केंद्रित हों।

भारत सरकार के कार्यक्रम और पहल

सरकार ने रोजगार सृजन और उद्यमिता तथा निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की स्थापना की है। विदेशी निवेश को आकर्षित करने और मैन्यूफैक्चिंग में वृद्धि लाने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। मंत्रालय की प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से युवाओं को उद्योग से संबंधित दक्षता का प्रशिक्षण और अपनी रोजगारपरकता में सुधार करने का मौका मिल रहा है। युवा वर्ग श्रम बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो सके, इसके लिए सरकार ने विभिन्न प्रकार के दक्षता कार्यक्रम उपलब्ध कराए हैं, जैसे: राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, राष्ट्रीय शहरी जीविकोपार्जन मिशन और राष्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन मिशनश्रम एवं रोजगार मंत्रालय की राष्ट्रीय करियर सेवा का उद्देश्य पारदर्शी और उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीके से रोजगार से मेल खाने वाली सेवाएं प्रदान करना है।

अधिक उत्पादक और उच्च दक्षता पूर्ण सूक्ष्म, लघु और मध्यम दर्जे के उद्यमों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए अनेक राष्ट्रीय योजनाएं जैस मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उधारकर्ताओं को ग्रीनफील्ड उद्यम लगाने में मदद करने के लिए बैंक लोन कार्यक्रम) और डिजिटल इंडिया को शुरू किया गया है जिससे रोजगार की मांग और नौकरियों के सृजन में तेजी आए। अटल नवाचार मिशन का प्रयास नए प्रयोगों और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देना है। इसके लिए वह नए विचारों को उत्पन्न और साझा करने तथा नए विचारों वाले व्यक्तियों को मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान करने के लिए एक मंच देता है।

संयुक्त राष्ट्र का सहयोग

दक्षता, उद्यमिता और रोजगार सृजन पर केंद्रित संयुक्त राष्ट्र प्राथमिकता समूह सरकार के सहयोग से श्रम बाजार की सूचना प्रणालियों को मजबूती देता है, स्कूल से कार्यस्थल पर संक्रमण की रणनीतियों को सहयोग प्रदान करता है तथा राज्य स्तर पर रोजगार एवं कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लक्ष्य, गुणवत्ता एवं पहुंच को सुधारने में मदद करता है। वह सरकार की रोजगार सृजन और उद्यमिता रणनीतियों और कार्यक्रमों को समर्थन देता है जिससे यह सुनिश्चित हो कि उसमें युवा, महिलाएं, प्रवासी श्रमिक और दूसरे सीमांत समूह शामिल हैं। निम्न आय वाले राज्यों और जिलों तथा पूर्वोत्तर क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया गया है, साथ ही सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम दर्जे के उद्यमों (एमएसएमई) के विकास, ग्रामीण श्रम बाजार, श्रम गहन मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग, अवसंरचना विकास और नए क्षेत्रों जैसे हरित उद्योग और किफायती आवास जैसे क्षेत्रों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

समूह ने कौशल अंतराल के मूल्यांकन और कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति के निरूपण के लिए मिजोरम सरकार को सहयोग प्रदान किया है। वह कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के साथ उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहा है और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण तथा उसके अनुवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उच्च स्तरीय पैनल के भारतीय सलाहकार को समर्थन दे रहा है।

प्राथमिकता समूह का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (यूएनआईडीओ) कर रहा है और इसमें अंतरराष्ट्रीय प्रवास संगठन (आईओएम), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए), संयुक्त राष्ट्र लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण संस्था (यूएन विमेन), संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावास कार्यक्रम (यूएन हैबिटैट), संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) और संयुक्त राष्ट्र एशिया एवं प्रशांत आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूनेस्केप) शामिल हैं।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]