सतत विकास लक्ष्‍य 11 – संवहनीय शहर और समुदाय

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शहरों और मानव बस्तियों को सुरक्षित, जानदार और संवहनीय बनाना

चुनौती

आधा मानव समुदाय यानी 3.5 अरब लोग आज शहरों में रहते हैं और अनुमान है कि 2030 10 में से 6 व्‍यक्ति शहरों के निवासी होंगे। दुनिया के शहरों ने पृथ्‍वी की सिर्फ 3% जमीन घेर रखी है लेकिन ऊर्जा की कुल खपत का 60-80% और पृथ्‍वी का 75% कार्बन उत्‍सर्जन शहरों में होता है। आने वाले दशकों में करीब 85% शहरी विस्‍तार विकासशील देशों में होगा। तेजी से बढ़ता शहरीकरण, ताजे पानी की आपूर्ति, सीवेज, रहन-सहन के माहौल और जन स्‍वास्‍थ्‍य पर दबाव डाल रहा है। हमारी तेजी से फैलती शहरी दुनिया में भीड़ बढ़ रही है, बुनियादी सेवाओं का अभाव है, उपयुक्‍त आवास की कमी है और बुनियादी ढांचा कमजोर हो रहा है। दुनिया में 30% शहरी जनसंख्या तंग बस्तियों में रहती है और सहारा के दक्षिण के अफ्रीकी देशों में आधे से अधिक शहरी निवासी तंग बस्तियों में रहते हैं।

यह क्‍यों महत्‍वपूर्ण है?

शहर, संवहनीय विकास के इंजन हैं। वहीं पर विचार, वाणिज्‍य, संस्‍कृति, विज्ञान और उत्‍पादकता पनपते हैं। शहरों में लोगों को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से सम्पन्नता के अवसर मिलते हैं किंतु यह ऐसे संपन्‍न शहरों में ही संभव है, जहां लोगों को उत्‍कृष्‍ट रोजगार मिल सके, जहां भूमि संसाधनों पर बढ़वार का बोझ न हो। शहर जब अपनी औपचारिक सीमाओं से बाहर तक फैल जाते हैं तो अनियोजित शहरी बस्तियां देश की विकासात्‍मक योजनाओं तथा सतत् विकास के वैश्विक लक्ष्‍यों के लिए हानिकारक हो सकती हैं। हमारे शहरी क्षेत्र ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जक भी हैं और जलवायु परिवर्तन में योगदान भी करते हैं। दुनिया की आधी शहरी जनसंख्‍या विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा स्‍वीकार्य मानकों से ढाई गुना अधिक प्रदूषित हवा में सांस लेती है।

इसका समाधान क्‍या है?

शहरी क्षेत्रों के सामने इन चुनौतियों का सामना, संसाधनों का उपयोग सुधारने तथा प्रदूषण और गरीबी कम करने पर ध्‍यान देकर किया जा सकता है। हम जो भविष्‍य चाहते हैं उसमें ऐसे शहर शामिल हैं जहां सबको अवसर मिले और जो बुनियादी सेवाओं, ऊर्जा, आवास, परिवहन और अन्‍य सुविधाएं सुलभ करा सकें। शहर या तो ऊर्जा को नष्ट कर सकते हैं अथवा ऊर्जा की खपत घटाकर तथा पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा प्रणालियां अपनाकर ऊर्जा कुशलता अधिकतम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए चीन में रिझाओ सौर ऊर्जा से संचालित शहर बन गया है। उसके मध्यवर्ती क्षेत्रों में 99% परिवार सौर वाटर हीटर इस्‍तेमाल करते हैं।

भारत और लक्ष्‍य 11

भारत में शहरीकरण तेजी से हो रहा है। 2001 और 2011 के बीच देश की शहरी जनसंख्‍या में 9.1 करोड़ की वृद्धि हुई। अनुमान है कि 2030 तक भारत में एक-एक करोड़ से अधिक की जनसंख्‍या वाले 6 मेगा शहर होंगे। 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार देश की 68% जनसंख्‍या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जबकि 17% शहरी जनसंख्या तंग बस्तियों में रहती है। भारत सरकार के स्‍मार्ट सिटी मिशन, जवाहरलाल नेहरू राष्‍ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन और अटल पुनर्जीवन एवं शहरी कायाकल्‍प मिशन शहरी क्षेत्रों में सुधार की चुनौती का सामना करने के लिए काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्‍य 2022 तक सबके लिए आवास का लक्ष्‍य हासिल करना।

उद्देश्‍य

  • 2030 तक, सबके लिए उपयुक्‍त, सुरक्षित और सस्‍ते आवास तथा बुनियादी सेवाओं की सुलभता सुनिश्चित करना और तंग बस्तियों की स्थिति सुधारना।
  • 2030 तक, सबके लिए सुरक्षित, सस्‍ती, सुलभ और संवहनीय परिवहन प्रणालियों तक पहुंच जुटाना, विशेषकर सार्वजनिक परिवहन के विस्‍तार से सड़क सुरक्षा सुधारना, महिलाओं, बच्‍चों, विकलांगों और वृद्धजनों तथा लाचारी की स्थिति में जीते लोगों की जरूरतों पर विशेष ध्‍यान देना।
  • 2030 तक, समावेशी और संवहनीय शहरीकरण तथा सभी देशों में सहभागी, समेकित और संवहनीय मानव बस्‍ती नियोजन एवं प्रबंधन की क्षमता को बढ़ाना।
  • विश्‍व की सांस्‍कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण एवं सुरक्षा के प्रयास मजबूत करना।
  • 2030 तक, जल से जुड़ी आपदाओं सहित सभी आपदाओं से मरने वालों और प्रभावित होने वाले लोगों की संख्‍या में उल्‍लेखनीय कमी करना तथा विश्‍व स्‍तर पर सकल घरेलू उत्‍पाद के सापेक्ष प्रत्‍यक्ष आर्थिक क्षति को बहुत कम करना और ऐसा करते समय गरीबों और लाचारी की हालात में जीते लोगों को संरक्षण देना।
  • 2030 तक, पर्यावरण पर शहरों के प्रति व्यक्ति विपरीत प्रभाव को कम करना, वायु की गुणवत्‍ता और नगरपालिका तथा अन्‍य कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्‍यान देना।
  • 2030 तक, विशेषकर महिलाओं और बच्‍चों, वृद्धजनों और विकलांग व्‍यक्तियों के साथ-साथ सबको सुरक्षित, समावेशी और सुलभ, हरी-भरी, सार्वजनिक जगहों तक पहुंच प्रदान करना।
  • राष्‍ट्रीय एवं क्षेत्रीय नियोजन को मजबूत कर शहरी, अर्धशहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच सकारात्‍मक आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय संपर्कों को समर्थन देना।
  • 2020 तक, ऐसे शहरों और मानव बस्तियों की संख्‍या में बहुत अधिक वृद्धि करना, जो समावेशन, संसाधनों के कुशल उपयोग, जलवायु परिवर्तन का असर कम करने और उसके अनुरूप ढलने, आपदाओं को सहने की मजबूत क्षमता की दिशा में समन्वित नीतियां और योजनाएं अपना सकें और लागू कर सकें तथा आपदा जोखिम कमी के लिए सेन्‍दाई फ्रेमवर्क 2015-2030 के अनुरूप सभी स्‍तरों पर समग्र आपदा जोखिम प्रबंधन विकसित और लागू कर सकें।
  • सबसे कम विकसित देशों को वित्‍तीय एवं तकनीकी सहायता सहित स्‍थानीय सामग्री के इस्‍तेमाल से टिकाऊ और जानदार इमारतें बनाने के लिए समर्थन देना।

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