सतत विकास लक्ष्‍य 15 – थलीय जीवों की सुरक्षा

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थलीय जीवों की सुरक्षा, थलीय पारिस्‍थतिकी का संरक्षण, पुनर्जीवन और संवर्धन, वनों का संवहनीय प्रबंधन, मरुस्‍थलीकरण का सामना और भूमि क्षय को रोकना तथा ठीक करना और जैव विविधता क्षति को रोकना

चुनौती

एक प्रजाति के रूप में हमारा भविष्‍य हमारे सबसे महत्‍वपूर्ण पर्यावास-जमीन की हालत पर निर्भर है। हमारा भविष्‍य जमीन की पारिस्‍थतिकी की रक्षा से जुड़ा है फिर भी 8300 ज्ञात पशु नस्‍लों में से 8% लुप्‍त हो चुकी हैं और 22% खोने को हैं। 1.3 हैक्‍टेयर वन हर वर्ष गायब हो रहे हैं, जबकि खुश्‍क भूमि के निरंतर विनाश के कारण 3.6 अरब हैक्‍टेयर इलाका मरुस्‍थल हो गया है। इस समय 2.6 अरब लोग सीधे तौर पर खेती पर निर्भर हैं, लेकिन 92% खेती की जमीन मिट्टी के विनाश से सामान्‍य और गंभीर रूप से प्रभावित है। मानवीय गतिविधियां और जलवायु परिवर्तन के कारण वृक्षों का कटाव और मरुस्‍थलीकरण सतत् विकास में एक बड़ी चुनौती पैदा करता है और इसने गरीबी से संघर्ष में लाखों लोगों के जीवन एवं आजीविका पर असर डाला है।

ये क्‍यों महत्‍वपूर्ण है?

जमीन और वन सतत विकास के बुनियादी अंग हैं। पृथ्‍वी की सतह के 30% हिस्‍से पर वन हैं। ये वन खाद्य सुरक्षा छत देने के अलावा जलवायु परिवर्तन का सामना करना, जैव विविधता की रक्षा करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं और इनमें मूल निवासी जनसंख्‍या रहती है। जीव-जंतुओं, पशु, पौधों और कीटों की कुल संख्‍या का 80% से अधिक वनों में निवास करता है। इस समय 1.6 अरब लोग भी अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं। इनमें से करीब 7 अरब लोग मूल निवासी हैं। इंसान की 80% से अधिक खुराक पौधों से आती है। चावल, मक्‍का और गेहूं 60% ऊर्जा देते हैं। इसके अलावा विकासशील देशों में ग्रामीण क्षेत्रों में रहते 80% से अधिक लोग अपने बुनियादी स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के लिए पारंपरिक औषध वनस्‍पति पर निर्भर हैं।

इसका समाधान क्‍या है?

जमीन पर जीवन के संरक्षण के लिए न सिर्फ थलीय पारिस्‍थतिकीयों का संरक्षण करना बल्कि उन्‍हें पुनर्जीवित करने तथा भविष्‍य के लिए उनके संवहनीय उपयोग को बढ़ावा देने हेतु सामूहिक कार्रवाई आवश्‍यक है। लक्ष्‍य 15 में प्राकृतिक पर्यावास का विनाश रोकने, पशुओं की चोरी और तस्‍करी समाप्‍त करने तथा पारिस्‍थतिकी और जैव विविधता मूल्‍यों को स्‍थानीय नियोजन एवं विकास प्रक्रियाओं में शामिल करने के लिए तत्‍काल कार्रवाई करने को कहा गया है। जैव विविधता के स्‍थलों का संरक्षण एक असरदार उपाय है। 2014 तक पृथ्‍वी के 15.2% थलीय और ताजे जल के पर्यावरण को संरक्षित कर दिया गया था।

भारत और लक्ष्‍य 15

भारत में वनाच्‍छादित क्षेत्र अब 21% है और देश के कुल थलीय क्षेत्र का करीब 5% संरक्षित क्षेत्र है।  दुनिया की 8% प्रतिशत जैव विविधता भारत में है जिसमें अनेक प्रजातियां ऐसी हैं जो दुनिया में कहीं और नहीं मिलती हैं। भारत जैव विविधता समझौते के आइचि उद्देश्‍यों को हासिल करने तथा नागोया प्रोटोकाल पर अमल में सक्रिय भागीदारी के लिए संकल्‍पबद्ध है। भारत का राष्‍ट्रीय वृक्षारोपण कार्यक्रम एवं राष्‍ट्रीय समन्वित वन्‍य जीव पर्यावास ऐसे मूल प्रोजेक्‍ट हैं जिनका उद्देश्‍य जमीन की पारिस्थिति‍की का संरक्षण है। देश के दो सबसे भव्य पशुओं के संरक्षण के लिए प्रौजेक्‍ट टाइगर और प्रौजेक्‍ट एलीफेंट नाम की दो अलग-अलग योजनाएं हैं।

उद्देश्‍य

  • 2020 तक, थलीय और अंतरदेशीय ताजा जल पारिस्थितिकियों तथा उनकी सेवाओं, विशेषकर वनों, दलदली भूमि, पर्वतों और शुष्‍क भूमि, का अंतर्राष्‍ट्रीय समझौतों में निहित दायित्‍वों के अनुरूप संरक्षण, जीर्णोद्धार एवं संवहनीय उपयोग सुनिश्चित करना।
  • 2020 तक, सभी प्रकार के वनों के संवहनीय प्रबंधन पर अमल को प्रोत्‍साहन, वृक्ष कटाव रोकना, क्षतिग्रस्‍त वनों को फिर से जीवित करना और विश्‍व भर में वृक्षारोपण तथा पुराने वनों में फिर वृक्ष लगाने के काम में बहुत अधिक वृद्धि करना।
  • 2030 तक, मरुस्‍थलीकरण रोकना, मरुस्‍थलीकरण से क्षतिग्रस्‍त भूमि सहित क्षतिग्रस्‍त जमीन और मिट्टी को फिर से उपयोग लायक बनाना तथा ऐसे विश्‍व की रचना करना जहां भूमि का क्षय न हो।
  • 2030 तक, पर्वतों की जैव विविधता सहित उनकी पारिस्थितिकी का संरक्षण सुनिश्चित करना ताकि सतत् विकास के लिए आवश्‍यक लाभ प्रदान करने की उनकी क्षमता बढ़ सके। प्राकृतिक पर्यावासों का क्षय कम करने के लिए तत्‍काल ठोस कार्रवाई करना, जैव विविधता का क्षय रोकना और 2020 तक जोखिम से घिरी प्रजातियों का संरक्षण करना तथा उन्‍हें लुप्‍त होने से बचाना।
  • आनुवांशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों के समान और निष्‍पक्ष बंटवारे को प्रोत्‍साहन देना तथा अंतर्राष्‍ट्रीय सहमति के अनुसार ऐसे संसाधनों तक उपयुक्‍त पहुंच को बढ़ावा देना।
  • जीव-जंतुओं और वनस्‍पति की संरक्षित प्रजातियों के अवैध शिकार और तस्‍करी को समाप्‍त करने के लिए तत्‍काल कार्रवाई करना और अवैध वन्‍य जीव उत्‍पादों की मांग और आपूर्ति दोनों को खत्‍म करना।
  • 2020 तक, जमीन और थलीय पारिस्थितिकियों में घुसपैठ करने वाली अज्ञात प्रजातियों के आगमन को रोकने और उनके प्रभाव में बहुत अधिक कमी लाने के उपाय अपनाना और प्राथमिक प्रजातियों पर नियंत्रण करना या उनका उन्‍मूलन करना।
  • 2020 तक, राष्‍ट्रीय स्‍थानीय नियोजन, विकास प्रक्रियाओं, गरीबी कम करने की रणनीतियों और ब्‍यौरे में पारिस्थितिकी और जैव विविधता मूल्‍यों को शामिल करना।
  • संवहनीय वन प्रबंधन के लिए धन जुटाने के वास्‍ते सभी स्‍तरों पर सभी स्रोतों से बहुत अधिक संसाधन जुटाना तथा विकासशील देशों को संरक्षण और पुन: वृक्षारोपण सहित ऐसे प्रबंधन को आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्‍त प्रोत्‍साहन देना।
  • संरक्षित प्रजातियों के अवैध शिकार और तस्‍करी का सामना करने के प्रयासों के लिए वैश्विक समर्थन बढ़ाना। संवहनीय आजीविका अवसरों को अपनाने की स्‍थानीय समुदायों की क्षमता बढ़ाना।

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