सतत् विकास लक्ष्य 3 – उत्तम स्वास्थ्य और खुशहाली

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उत्तम स्वास्थ्य सुनिश्चित करना और हर उम्र में सब की खुशहाली को प्रोत्साहन

चुनौती

खराब स्‍वास्‍थ्‍य से कष्‍ट और सबसे बुनियादी प्रकार की वंचनाएं होती हैं। इतने वर्षों में लोगों की औसत आयु बढ़ाने और शिशु तथा मातृ मुत्यु के लिए ज़िम्मेदार कुछ सबसे आम बीमारियों को कम करने में उल्लेखनीय सफलताएं मिली हैं। वैश्विक प्रगति के बावजूद सहारा के दक्षिणी अफ्रीकी देशों और दक्षिणी एशिया क्षेत्र में शिशु मौतों का अनुपात बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2000 के बाद से  विश्‍व में एचआईवी/एड्स, मलेरिया और टीबी सहित प्रमुख संक्रामक रोगों का होना कम हुआ है, लेकिन विश्व के अनेक क्षेत्रों में ये बीमारियां और नई महामारियां अब भी बड़ी चुनौती हैं। हमने दुनियाभर में नए उपचारों, टीकों और स्‍वास्‍थ्‍य सेवा के लिए टैक्नॉलॉजी की खोज में ज़बर्दस्‍त प्रगति की है लेकिन सभी को किफायती स्वास्थ्य सेवा सुलभ कराना अब भी एक चुनौती है।

ये क्‍यों महत्‍वपूर्ण है?

बीमारी केवल एक व्‍यक्ति की खुशहाली पर ही असर नहीं डालती बल्कि ये परिवार और जन संसाधनों पर बोझ बनती है, समाज को कमज़ोर औऱ क्षमता का ह्रास करती है। हर उम्र के लोगों का उत्तम स्वास्थ्य और खुशहाली सतत् विकास का केंद्र बिंदु है। बीमारी से बचाव न सिर्फ जीने के लिए ज़रूरी है अपितु ये सभी को अवसर देता है, आर्थिक वृद्धि और सम्‍पन्‍नता को बल देता है।

इसका समाधान क्‍या है?

अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय  ने सतत् विकास के  तीसरे लक्ष्‍य के माध्यम से  बीमारी को खत्‍म करने, उपचार व्‍यवस्‍था और स्‍वास्‍थ्‍य सेवा को मज़बूत करने, तथा स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी नए और उभरते  मुद्दों के समाधान के लिए  वैश्विक प्रयासों का संकल्‍प लिया है। इसके लिए इन क्षेत्रों में नई सोच और अनुसंधान की आवश्‍यकता बताई गई है ताकि जन नीतिगत प्रयासों को आगे बढ़ाया जा सके।  बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति समग्र दृष्टिकोण में सुनिश्चित करना होगा कि सभी को स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं सुलभ हों और दवाएं तथा टीके उनके साधनों के भीतर मिलें। इसमें मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े मुद्दों पर नए तरीके से विचार किए जाने की ज़रूरत भी बताई गई है। 19 से 25 साल की उम्र के लोगों में आत्‍महत्‍या, दुनियाभर  में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।  और आखिर में स्‍वास्‍थ्‍य और खुशहाली हमारे पर्यावरण की गुणवत्ता से करीब से जुड़े हैं, और लक्ष्‍य 3 का उद्देश्‍य वायु, जल, और मृदा प्रदूषण तथा दूषण से होनी वाली बीमारियों  और मौतों की संख्‍या में भारी गिरावट लाना भी है।

भारत और लक्ष्‍य तीन

भारत ने पांच साल से कम उम्र में बच्‍चों की मृत्‍यु दर घटाने में कुछ प्रगति की है। यह दर 1990 में  प्रति एक हज़ार जीवित जन्‍म पर 125 थी जो 2013 में घटकर प्रति एक हज़ार जीवित जन्‍म पर 49 रह गई । मातृ मृत्‍यु दर  1990-91 में प्रति एक लाख जीवित शिशु प्रसव पर 437 थी जो 2009 में घटकर 167 रह गई। भारत ने ऐसे विभिन्न वर्गों में एचआईवी और एड्स का संक्रमण कम करने में भी महत्‍वपूर्ण प्रगति की है जिनमें इसके संक्रमण का खतरा अधिक रहता  है। वयस्‍कों में इनका चलन 2002 में 0.45 प्रतिशत था जो  2011 में घटकर 0.27 प्रतिशत रह गया।  दुनिया में टीबी (तपेदिक) के एक-चौथाई मामले भारत में होते हैं। यहां हर साल करीब 22 लाख लोगों में टीबी की पहचान होती है और इसके कारण लगभग 2 लाख 20 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है।  भारत सरकार का राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन,  एचआईवी/एड्स और यौन संचारी रोगों से निपटने के लिए लक्षित राष्‍ट्रीय कार्यक्रमों के अतिरिक्‍त राष्‍ट्रीय खुशहाली को प्राथमिकता दे रहा है और इस क्षेत्र में  बदलाव का नेतृत्व कर रहा है।

उद्देश्‍य

  • 2030 तक दुनिया में मातृ मृत्‍यु अनुपात घटाकर प्रति एक लाख जीवित शिशु प्रसव पर 70 से भी कम करना।
  • 2030 तक नवजात शिशुओं और पांच साल कम उम्र में बच्‍चों में निरोध्‍य मौतें कम करना। सभी देशों का उद्देश्य नवजात शिशु मृत्‍यु दर प्रति एक हज़ार जीवित जन्‍म पर घटाकर कम से कम 12 करना और पांच साल से कम उम्र में बच्‍चों में मृत्यु दर प्रति एक हज़ार जीवित जन्‍म पर घटाकर कम से कम 25 करना है।
  • 2030 तक एड्स, टीबी, मलेरिया और उपेक्षित कटिबंधीय बीमारियों को समाप्‍त करना तथा हेपेटाइटिस, जल जन्‍य रोगों तथा अन्‍य संचारी रोगों का सामना करना
  • 2030 तक असंचारी रोगों से होनी वाली असामयिक मौतों में  बचाव और उपचार के ज़रिए एक-तिहाई कमी करना तथा मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य और खुशहाली को बढ़ावा देना।
  • मादक पदार्थों सहित नशीले पदार्थों के सेवन और शराब के हानिकारक सेवन से बचाव और उपचार मज़बूत करना।
  • 2020 तक विश्वभर में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों और घायलों की संख्‍या आधी करना।
  • 2030 तक सभी को परिवार नियोजन सूचना और शिक्षा सहित यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराना तथा प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य को राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों में शामिल करना।
  • वित्तीय जोखिम संरक्षण सहित सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना, उत्तम आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराना तथा सभी के लिए निरापद, असरदार, उत्तम और किफायती ज़रूरी दवाएं और टीके सुलभ कराना।
  • 2030 तक हानिकारक रसायनों, वायु, जल, और मृदा प्रदूषण तथा दूषण से होने वाली मौतों और बीमारियों में भारी कमी करना।
  • तम्बाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रारूप (फ्रेमवर्क)संधि को, जैसे उपयुक्त हो, सभी देशों में लागू करना।
  • मूल रूप से विकासशील देशों में फैलने वाले संचारी और असंचारी रोगों के लिए टीकों और दवाओं के अनुसंधान और विकास को मज़बूत करना, ट्रिप्स समझौते और जन स्वास्थ्य पर दोहा घोषणा के अनुरूप किफायती आवश्यक दवाओं और टीकों को सुलभ कराना। इसके अंतर्गत सभी विकासशील देशों को अधिकार दिया गया है कि वे बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं से सम्बद्ध समझौते के प्रावधानों का पूरी तरह इस्तेमाल करें। ये अधिकार जन स्वास्थ्य की सुरक्षा में लचीलेपन और विशेष रूप से सभी को दवाएं सुलभ करने से जुड़े हैं।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए धन की व्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि करना तथा विकासशील देशों विशेष रूप से सबसे कम विकसित और छोटे द्वीपीय विकासशील देशों में स्वास्थ्यकर्मियों की भर्ती, विकास, प्रशिक्षण और उन्हें इस काम से जोड़े रखने के उपाय करना।
  • राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य खतरों के बारे में जल्दी चेतावनी, जोखिम में कमी और प्रबंधन के लिए सभी देशों, विशेष रूप से विकासशील देशों की क्षमता मज़बूत करना।

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