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वृद्धि के इंजन को ईंधन दिए बिना विकास नहीं हो सकता। ऊर्जा जरूरी है और ऊर्जा की सतत् सुलभता से वंचित लोग राष्ट्र और विश्व की प्रगति में हिस्सा लेने के अवसर से वंचित रह जाते हैं, फिर भी दुनिया भर में एक अरब लोगों को ऊर्जा सुलभ नहीं है। लगभग तीन अरब लोगों यानि दुनिया की 41% आबादी को स्वच्छ ईंधन और रसोई के लिए टैक्नॉलॉजी सुलभ नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा था, ”ऊर्जा वह सुनहरी डोर है, जो आर्थिक वृद्धि, सामाजिक समता और पर्यावरण की सततता को जोड़ती है। ऊर्जा सुलभ होने पर लोग पढ़ सकते हैं, विश्वविद्यालय जा सकते हैं, नौकरी पा सकते हैं, अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं और अपनी प्रतिभा का पूर्ण विकास कर सकते हैं।” आज दुनिया के सामने मौजूद लगभग हर चुनौती और अवसर – सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, अनाज उत्पादन, नौकरियां या बढ़ती आमदनी- में ऊर्जा की प्रमुख भूमिका है। सतत ऊर्जा अवसर पैदा करती है, जीवन, अर्थव्यवस्था और पृथ्वी का कायाकल्प करती है। बिजली सुलभ होने पर स्वास्थ्य पर नापे जा सकने वाले लाभ और खुशहाली में सुधार दिखाई देते हैं । अत: ऊर्जा सुलभता असल में ऊर्जा के लिए सतत विकास एजेंडा का एक मूल अंग है। उपयोग लायक ऊर्जा का उत्पादन भी जलवायु परिवर्तन का स्रोत हो सकता है। दुनिया का लगभग 60% ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन इस तरह होता है।
सतत विकास लक्ष्यों में लक्ष्य 7 का उद्देश्य इस जबरदस्त असंतुलन को दूर करना है। इसके लिए सुनिश्चित करना होगा कि 2030 तक हर किसी को सस्ती, विश्वसनीय और आधुनिक ऊर्जा सेवाएं सुलभ हों। ऊर्जा की सुलभता का दायरा फैलाने के लिए जरूरी है कि ऊर्जा कुशलता बढ़ाई जाए तथा नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश किया जाए। एशिया इस क्षेत्र में प्रगति का ध्वजवाहक रहा है। यहाँ सुलभता को जनांककीय वृद्धि दर का दुगुना कर दिया गया है। 2010 और 2012 के बीच आधुनिक नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा की खपत में 72 प्रतिशत वृद्धि एशिया के कुछ हिस्सों सहित विकासशील क्षेत्रों में हुई है। पवन, जल, सौर, बायोमास और भूतापीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा कभी खत्म नहीं होती और प्रदूषण मुक्त होती है। वैसे तो ऊर्जा के जलवायु संकट का समाधान ग्रिड से बाहर है, लेकिन इस समय नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी विश्व के ऊर्जा मिश्रण में सिर्फ 15% है। अब समय आ गया है कि सबके लिए सतत् ऊर्जा के बारे में नई वैश्विक भागीदारी की जाए। इसका मार्गदर्शन सर्वत्र सुलभ, किफायती, प्रदूषण मुक्त और विश्वसनीय ऊर्जा स्रोतों तथा सेवाओं के बारे में सतत विकास लक्ष्य 7 करता है।
दुनिया में ऊर्जा की मात्रा में भारत की प्रमुख हिस्सेदारी यानी कुल की एक चौथाई होगी। 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार भारत में बिजली उत्पादन के लिए कुल स्थापित क्षमता में चक्रवृद्धित वार्षिक वृद्धि दर 7% रही। फिर भी 2015 तक भारत में 23,70,00,000 लोगों को बिजली सुलभ नहीं है। सरकार का राष्ट्रीय सौर मिशन, नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में चल रहे काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा ग्रामीण विद्युतीकरण के प्रयासों तथा नई अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजनाओं से भारत सब जगह, सबके लिए ऊर्जा सुलभता की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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