सतत विकास लक्ष्‍य 9 – उद्योग, नवाचार और बुनियादी सुविधाएं

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जानदार बुनियादी सुविधाओं का निर्माण, समावेशी और टिकाऊ औद्योगीकरण को प्रोत्‍साहन और नवाचार को संरक्षण

चुनौती

औद्योगिक विकास की कहानी राष्‍ट्रों के समुदाय के रूप में हमारे इतिहास की एक महत्‍वपूर्ण दिशा निर्धारक रही है। पहले भाप इंजन से लेकर पहली असेंबली लाइन तक और फिर आज की वास्‍तव में वैश्विक उत्‍पादन श्रृंखलाओं और प्रक्रियाओं तक उद्योगों ने हमारी अर्थव्‍यवस्‍थाओं को बदला है और हमारे समाजों में बड़े बदलाव लाने में मदद की है। किन्‍तु टिकाऊ तौर-तरीकों और बुनियादी सुविधाओं की उपस्थिति के अभाव में हमारी वृद्धि ने लोगों के विशाल वर्गों को पीछे छोड़ दिया है। विकासशील देशों में कुल मिलाकर करीब 2.6 अरब लोग दिन भर के लिए बिजली पाने में कठिनाई महसूस करते हैं। इसके अलावा दुनिया भर में 2.5 अरब लोग बुनियादी स्‍वच्‍छता से वंचित हैं, जबकि लगभग 80,00,000,00 लोगों को जल सुलभ नहीं है। जिनमें से लाखों लोग सहारा के दक्षिणी अफ्रीकी देशों और दक्षिण एशिया में अनेक निम्‍न आय वाले देशों के लिए बुनियादी सुविधाओं की मौजूदा सीमाएं उत्‍पादकता पर करीब 40% तक असर डालती हैं।

यह क्‍यों महत्‍वपूर्ण हैं?

अनेक देशों में आर्थिक वृद्धि को गति देने और समुदायों को सशक्‍त करने के लिए परिवहन, सिंचाई, ऊर्जा और सूचना तथा संचार टैक्‍नॉलॉजी में निवेश की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है। औद्योगीकरण के रोजगार बढ़ाने वाले प्रभाव ने समाज पर अनुकूल असर डाला क्‍योंकि मैन्‍यूफैक्चरिंग में हर एक रोजगार पर अन्‍य क्षेत्रों में 2.2 रोजगार पैदा होते हैं। मैन्‍यूफैक्‍चरिंग क्षेत्र रोजगार देने वाला एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र है जिसने 2009 में दुनिया भर में करीब 47करोड़ रोजगार दिया या दुनिया भर में 2.9 अरब कामगारों में से करीब 16% इस क्षेत्र में हैं। बहुत पहले से ही यह मान्‍यता रही है कि उद्योग और संचार का एक मजबूत वास्‍तविक नेटवर्क उत्‍पादकता और आय बढ़ा सकता है और स्‍वास्‍थ्‍य, खुशहाली तथा शिक्षा में सुधार ला सकता है। इसी तरह से टैक्‍नॉलॉजी की प्रगति देशों के रूप में हमारी खुशहाली बढ़ाती है और पहले से अधिक संसाधनों एवं ऊर्जा कुशलता के माध्‍यम से पृथ्‍वी की स्थिति में भी सुधार कर सकती है।

इसका समाधान क्‍या है?

सतत् विकास लक्ष्‍य 9 के माध्‍यम से देशों ने संकल्‍प लिया है कि अधिक जानदार बुनियादी सुविधाओं में निवेश, सीमा के आर-पार सहयोग तथा छोटे उद्यमों को प्रोत्‍साहन, सतत् औद्योगिक विकास सुनिश्चित करने के लिए महत्‍वपूर्ण होंगे। हमें अपना औद्योगिक ढांचा भी सुधारना होगा और उसमें नई टैक्‍नॉलॉजी की प्रमुख भूमिका होगी। सरकारों और कंपनियों को नवाचार, वैज्ञानिक अनुसंधान प्रोत्‍साहन तथा सबके लिए सूचना प्रौद्योगिकी की सुलभता सुधारने हेतु एक अनुकूल नीतिगत माहौल पैदा करने में योगदान देना होगा।

भारत और लक्ष्‍य 9

सरकार के मेक इन इंडिया और स्‍टार्टअप इंडिया जैसे प्रमुख प्रयासों तथा पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय श्रमेव जयते कार्यक्रम के बल पर नवाचार और सतत् औद्योगिक एवं आर्थिक विकास को गति मिल रही है।

उद्देश्‍य

  • क्षेत्रीय और सीमाओं के आर-पार बुनियादी सुविधाओं सहित गुणवत्‍तापूर्ण, विश्‍वसनीय, टिकाऊ और जानदार बुनियादी सुविधाओं का विकास करना जिससे आर्थिक विकास हो और मानव कल्‍याण को सहारा मिले और जिसमें सबके लिए संवहनीय एवं समान सुलभता पर जोर हो।
  • समावेशी और सतत औद्योगीकरण को प्रोत्‍साहन तथा 2030 तक रोजगार और सकल घरेलू उत्‍पाद में राष्‍ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार उद्योग की हिस्‍सेदारी में बहुत अधिक वृद्धि तथा सबसे कम विकसित देशों में उसकी हिस्‍सेदारी दोगुनी करना।
  • विशेषकर विकासशील देशों में लघु उद्योगों और अन्‍य उद्यमों के लिए वित्‍तीय सेवाओं सस्‍ते ऋण सहित की सुलभता बढ़ाना और उन्‍हें मूल्‍य श्रृंखला तथा बाजारों के साथ जोड़ना।
  • 2030 तक बुनियादी सुविधाओं में सुधार करना तथा उद्योगों को टिकाऊ बनाने के लिए उनका उन्‍नयन करना जिससे वे संसाधन उपयोग कुशलता बढ़ाएं और प्रदूषण रहित एवं पर्यावरण की दृष्टि से उत्‍तम टैक्‍नॉलॉजी एवं औद्योगिक प्रक्रियाएं अधिक अपनाएं तथा सभी देश अपनी-अपनी क्षमताओं के अनुसार कदम उठाएं।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान बढ़ाना, सभी देशों विशेषकर विकासशील देशों में औद्योगिक क्षेत्र की प्रौद्योगिक क्षमताओं का उन्‍नयन करना। 2030 तक नवाचार को प्रोत्‍साहन देना तथा प्रति 10,00,000 लोगों पर अनुसंधान और विकास कार्यों की संख्‍या में तथा अनुसंधान और विकास पर सार्वजनिक और निजी खर्च में बहुत अधिक वृद्धि करना।
  • अफ्रीकी देशों, सबसे कम विकसित देशों, भूमि से घिरे विकासशील देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों के लिए अधिक वित्‍तीय, टैक्‍नॉलॉजी संबंधी और तकनीकी समर्थन के जरिए विकासशील देशों में टिकाऊ और जानदार बुनियादी सुविधाओं के विकास में मदद करना।
  • विकासशील देशों में घरेलू प्रौद्योगिकी विकास, अनुसंधान और नवाचार को समर्थन देना। इसके लिए औद्योगिक विविधता लाने तथा जिंसों में मूल्‍य संवर्धन हेतु उपयुक्‍त नीतिगत माहौल सुनिश्चित करना शामिल है।
  • सूचना और संचार टैक्‍नॉलॉजी को बहुत अधिक सुलभ करना एवं 2020 तक सबसे कम विकसित देशों में सब जगह सस्‍ती दर पर इंटरनेट की सुविधा सुलभ कराने के लिए प्रयास करना।

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