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औद्योगिक विकास की कहानी राष्ट्रों के समुदाय के रूप में हमारे इतिहास की एक महत्वपूर्ण दिशा निर्धारक रही है। पहले भाप इंजन से लेकर पहली असेंबली लाइन तक और फिर आज की वास्तव में वैश्विक उत्पादन श्रृंखलाओं और प्रक्रियाओं तक उद्योगों ने हमारी अर्थव्यवस्थाओं को बदला है और हमारे समाजों में बड़े बदलाव लाने में मदद की है। किन्तु टिकाऊ तौर-तरीकों और बुनियादी सुविधाओं की उपस्थिति के अभाव में हमारी वृद्धि ने लोगों के विशाल वर्गों को पीछे छोड़ दिया है। विकासशील देशों में कुल मिलाकर करीब 2.6 अरब लोग दिन भर के लिए बिजली पाने में कठिनाई महसूस करते हैं। इसके अलावा दुनिया भर में 2.5 अरब लोग बुनियादी स्वच्छता से वंचित हैं, जबकि लगभग 80,00,000,00 लोगों को जल सुलभ नहीं है। जिनमें से लाखों लोग सहारा के दक्षिणी अफ्रीकी देशों और दक्षिण एशिया में अनेक निम्न आय वाले देशों के लिए बुनियादी सुविधाओं की मौजूदा सीमाएं उत्पादकता पर करीब 40% तक असर डालती हैं।
अनेक देशों में आर्थिक वृद्धि को गति देने और समुदायों को सशक्त करने के लिए परिवहन, सिंचाई, ऊर्जा और सूचना तथा संचार टैक्नॉलॉजी में निवेश की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। औद्योगीकरण के रोजगार बढ़ाने वाले प्रभाव ने समाज पर अनुकूल असर डाला क्योंकि मैन्यूफैक्चरिंग में हर एक रोजगार पर अन्य क्षेत्रों में 2.2 रोजगार पैदा होते हैं। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र रोजगार देने वाला एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसने 2009 में दुनिया भर में करीब 47करोड़ रोजगार दिया या दुनिया भर में 2.9 अरब कामगारों में से करीब 16% इस क्षेत्र में हैं। बहुत पहले से ही यह मान्यता रही है कि उद्योग और संचार का एक मजबूत वास्तविक नेटवर्क उत्पादकता और आय बढ़ा सकता है और स्वास्थ्य, खुशहाली तथा शिक्षा में सुधार ला सकता है। इसी तरह से टैक्नॉलॉजी की प्रगति देशों के रूप में हमारी खुशहाली बढ़ाती है और पहले से अधिक संसाधनों एवं ऊर्जा कुशलता के माध्यम से पृथ्वी की स्थिति में भी सुधार कर सकती है।
सतत् विकास लक्ष्य 9 के माध्यम से देशों ने संकल्प लिया है कि अधिक जानदार बुनियादी सुविधाओं में निवेश, सीमा के आर-पार सहयोग तथा छोटे उद्यमों को प्रोत्साहन, सतत् औद्योगिक विकास सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे। हमें अपना औद्योगिक ढांचा भी सुधारना होगा और उसमें नई टैक्नॉलॉजी की प्रमुख भूमिका होगी। सरकारों और कंपनियों को नवाचार, वैज्ञानिक अनुसंधान प्रोत्साहन तथा सबके लिए सूचना प्रौद्योगिकी की सुलभता सुधारने हेतु एक अनुकूल नीतिगत माहौल पैदा करने में योगदान देना होगा।
सरकार के मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे प्रमुख प्रयासों तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम के बल पर नवाचार और सतत् औद्योगिक एवं आर्थिक विकास को गति मिल रही है।
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