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जिस प्रकार भारत में विकास और विस्तार हो रहा है, उसके नागरिक अपने शहरों में नए आर्थिक अवसरों की तलाश कर रहे हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में 2050 तक 300 मिलियन अतिरिक्त लोग शहरों में बसे होंगे। लेकिन भारत में शहरी सुविधाओं पर जीडीपी का केवल 1.1 प्रतिशत व्यय किया जाता है जोकि चीन को छोड़कर ब्रिक्स देशों की तुलना में बहुत कम है। इसी से साबित होता है कि भारत के शहरों में रहने वाली गरीब आबादी का जीवन स्तर क्या होगा, जहां लगभग 17 प्रतिशत शहरी परिवार बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं से वंचित हैं।
अवसर
ऐसा माना जाता है कि आवास निर्माण से पूंजीगत निर्माण, आय, रोजगार सृजन और बचत होती है। देश के प्रत्येक नागरिक को आवास उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने एक योजना शुरू की है- प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई)। इसका लक्ष्य 2022 तक प्रत्येक नागरिक के लिए सस्ता आवास सुनिश्चित करना है। पीएमएवाई का शहरी घटक अच्छी क्वालिटी के घरों के शीघ्र निर्माण के लिए नई और हरित तकनीक तथा निर्माण सामग्री के प्रयोग को बढ़ावा देगा। इसी प्रकार कार्यक्रम के ग्रामीण घटक का लक्ष्य यह है कि ऐसी निर्माण सामग्री और तकनीक का प्रयोग किया जाए जो मजबूती और टिकाऊपन को बढ़ाएं, लागत कम करें और निर्माण को समय पर पूरा करें। कार्यक्रम का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आवास की कमी को दूर करने के लिए 500 मिलियन आवास का निर्माण करना है।
भारत का आवास उद्योग तेजी से विकसित होने वाले उद्यमों में से एक है। आवास क्षेत्र में निर्माण एक महत्वपूर्ण घटक है, जोकि जीडीपी का 8.2 प्रतिशत है। सरकार ने 2020 तक 100 ‘स्मार्ट सिटीज़’ बनाने के लिए 7.5 बिलियन US$ का आवंटन किया है और वैकल्पिक निर्माण तकनीक और सामग्रियों के लिए विशेष सबसिडी और रियायतें दी गई हैं।
विचारणीय क्षेत्र
गरीब वर्ग के लिए विश्व की सबसे बड़ी आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) की शुरुआत के साथ निजी क्षेत्र को व्यापक अवसर मिला है। उसे निर्माण की गुणवत्ता में सुधार करने, गरीब परिवारों को रहने योग्य मकान उपलब्ध कराने और निर्माण तकनीक एवं सामग्रियों में नए प्रयोग करने का मौका भी मिला है। इसके लिए नए प्रिफैब्रिकेटेड हाउसिंग मॉडल की जरूरत होगी जोकि जलवायु के अनुकूल हों और नवीकरणीय ऊर्जा तथा स्थायी सामग्रियों का उपयोग करें। पीएमएवाई के जरिए ग्रामीण घरों में मूल्य संवर्धित तथा पर्यावरण मित्र निर्माण तकनीक को अपनाने से निर्माण की रफ्तार 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है, सालाना 1.6 बिलियन लीटर पानी की बचत की जा सकती है और 2022 तक कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन को 27 मिलियन टन तक कम किया जा सकता है। ग्रामीण आवास के निर्माण की पद्धतियों में सुधार करने से ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती मिलेगी। यहां 40,000 से अधिक ग्रामीण राजगीरों को दक्षता प्रदान की जाएगी और सामग्रियों एवं घटकों के उत्पादन और वितरण के लिए 20,000 से अधिक लघु उपक्रमों को स्थापित किया जाएगा।
यूएनआईबीएफ की गतिविधियां
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