इस वर्ष फरवरी में दक्षिण भारत के चेन्नई हवाई अड्डे पर कस्टम अधिकारियों ने पाया कि बैंकॉक से आने वाले एक यात्री के सामान से कुछ आवाजें आ रही हैं। उसके बैग में एक बास्केट में एक छोटा सा तेंदुए का बच्चा था।
चेन्नई के कस्टम अधिकारी सालों से देश में तस्करी करके लाए जाने वाले स्टार कछुओं, सी कुकुम्बर्स और पेंगोलिन स्केल्स को जब्त कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि विदेशी वन्य प्रजातियों की तस्करी बढ़ रही है। लेकिन इन जानवरों को भारत में तस्करी करके कहां ले जाया जा रहा है, इसका अंदाजा कोई भी लगा सकता है।
वन्य जीवों की अवैध तस्करी के कारण विश्व में अनेक प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं। भारत में यह व्यापार तेजी से फल-फूल रहा है, जोकि कि दुर्लभ प्रजातियों की बढ़ती मांग से प्रेरित है। इसका कारण जानवरों को पालतू बनाने की प्रवृत्ति है, साथ ही उनका चिकित्सकीय उपयोग भी। इसका मुख्य बाजार चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया है लेकिन वन्य जीवों की तस्करी, जीवित या उनके शरीर के अंग- खाड़ी देशों, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में भी की जाती है। भारत के अतिरिक्त अन्य पारगमन देश हैं नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और म्यांमार।
जिन भारतीय वन्य प्रजातियों और उनसे बनने वाले उत्पादों की तस्करी भारत से बाहर की जाती है, वे हैं बाघ और तेंदुए की खाल, उनकी हड्डियां और शरीर के अन्य अंग, गैंडे के सींग, हाथी दांत, कछुए, समुद्री घोड़े, सांप का विष, नेवले के बाल, सांप की खाल, टोके गेको, सी कुकुम्बर, चीरू का ऊन, कस्तूरी मृग की कस्तूरी, भालू का पित्त, औषधीय पौधे, लाल चंदन की लकड़ी और पिंजड़े में रखे जाने वाले पक्षी जैसे पैराकीट, मैना, मुनिया। अधिकतर लोग यह जानते ही नहीं कि यह अमूल्य प्रजातियां भारत में मौजूद हैं। लेकिन ऐसी प्रजातियां तेजी से लुप्त हो रही हैं। भारत में चीरू की संख्या सिर्फ 25 के करीब बची है।
सबसे अधिक पेंगोलिन, समुद्री घोड़ों और कछुओं की तस्करी की जाती है:
· 2018 में ट्रैफिक इंडिया ने एक अध्ययन जारी किया जिसमें कहा गया था कि 2009 से 2017 में भारत से कम से कम 5,772 पैंगोलिन को अवैध व्यापार के लिए पकड़ा गया।
· पेटागोनियन समुद्री घोड़ा (हिप्पोकैम्पस पेटागोनिकस) उन तीन समुद्री घोड़ों में से एक है जिसे उसके औषधीय गुणों के कारण तस्करी का शिकार बनाया जाता है।
· भारतीय स्टार कछुए की तस्करी विश्व स्तर पर अब सबसे अधिक की जाती है, चूंकि पालतू पशु के तौर पर इसकी सबसे अधिक मांग है।
टोके गेको को हाल ही में बड़ी संख्या में जब्त किया गया, मुख्य रूप से उत्तर पूर्वी भारत में। यह एड्स के उपचार के लिए उपयोगी है, इस अपुष्ट दावे के बाद टोके गेको का अवैध व्यापार बढ़ा है। पिछले वर्ष भारत के कई राज्यों में एजेंसियों की धरपकड़ में 300 से अधिक गेको तस्करों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान 1,000 गेको को जब्त किया गया और जंगलों में छोड़ा गया।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण वन्यजीव अभियान की समन्वयक लीसा रोल्स का कहना, “जानकारी की कमी, अनाम ई-कॉमर्स, लालच और कम जोखिम होना, साथ ही अधिक पैसे कमाने का मौका, इन सबके कारण वन्य जीव अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है। भारत एक बड़ा हॉटस्पॉट है।”
हालांकि भारत में वन्यजीव व्यापार को विनियमित और प्रतिबंधित करने के लिए मजबूत कानूनी और नीतिगत संरचना है लेकिन तुरत-फुरत कमाई के लालच ने बेरोजगार युवाओं को कुरियर की तरह काम करने के लिए आकर्षित किया है।
रोविंग हवाई अड्डा प्रदर्शनी प्रारंभ
भारत में विश्व के कुल भूमि क्षेत्र का 2.4 प्रतिशत हिस्सा आता है लेकिन यहां विश्व की 8 प्रतिशत वन्य प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें पौधों की 45,000 और पशुओं की 91,000 प्रजातियां शामिल हैं।
1.3 अरब से अधिक की आबादी होने के बावजूद भारत में 662 संरक्षित क्षेत्र हैं जिनमें से पांच संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व विरासत सूची में शामिल हैं। ये संरक्षित स्थल भारतीय मिथक, लोककथाएं, धर्म, कला और संस्कृति पर आधारित हैं और जीवन के विविध रूपों को महत्व देते हैं। पूर्वी हिमालय, पश्चिमी तट, भारत-म्यांमार भूक्षेत्र तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह जैवविविधता के केंद्र हैं।
21 मई 2019 को भारत के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने भारत में संयुक्त राष्ट्र गुडविल एंबेसेडर दिया मिर्जा, वाइल्ड फॉर लाइफ कैंपेन और ब्रांडिंग विशेषज्ञ ओगेली के सहयोग से आधिकारिक रूप से एक रोविंग (घुमंतू) हवाईअड्डा प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। इस प्रदर्शनी में वन्य जीव तस्करी के कारण होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को दर्शाया गया है। भारत में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यालय के नेतृत्व में इस अभियान का उद्देश्य देश में वन्य जीवों के संरक्षण, तस्करी को रोकने और अवैध वन्यजीव उत्पादों की बढ़ती मांग को कम करने के लिए लोगों का सहयोग जुटाना है।
भारत में वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की अवर निदेशक तिलोत्तमा वर्मा के अनुसार, “हमारी वनस्पतियों और जीवों की बढ़ती विश्वव्यापी मांग के कारण सीमा पारीय तस्करों द्वारा अवैध व्यापार बढ़ा है। इस संगठित अपराध को काबू में करने के लिए वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो कटिबद्ध है लेकिन इसमें विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को भी मदद करनी होगी।”
अभियान के पहले चरण में बाघ, पेंगोलिन, स्टार कछुए और टोके गेको को मुख्य प्रजातियों के रूप में शामिल किया गया है, चूंकि वे विलुप्त की कगार पर हैं।
इस मौके पर दिया मिर्जा ने कहा, “मैं वाइल्ड फॉर लाइफ स्नो लेपर्ड (बर्फीले तेंदुए) चैंपियन के रूप में अपनी भूमिका के विस्तार को लेकर बहुत खुश हूं जिसमें कम जानी जाने वाली प्रजातियों को भी शामिल किया गया है। भारत में इनका भी बहुत महत्व है। हममें से प्रत्येक की जिम्मेदारी है कि हम अधिक से अधिक जानकारी रखें और कार्रवाई करें। हवाई अड्डों पर जो देखें, या सुनें, उससे मुंह न मोड़ें और इस बात की जानकारी रखें कि आप क्या खरीद रहे हैं। अगर वह विदेशी और दुर्लभ है, तो संभव है कि वह अवैध भी हो।”
चेन्नई हवाई अड्डे पर हाल की जब्तियां
25 मार्च 2019: अफ्रीकी हॉर्न पिट वाइपर को 2 राइनोसरस इगुआनास, 3 रॉक इगुआनास, 22 इजीप्शियन कछुओं, 4 नीली जीभ वाले स्किन्क्स और 3 ग्रीन ट्री मेढ़कों के साथ जब्त किया गया।
13 मार्च 2019: 18 किलो मोरपंखी को तस्करी करके मलयेशिया और सिंगापुर ले जाने की उम्मीद थी।
2 फरवरी 2019: बैंकॉक से आने वाले यात्री से तेंदुए का बच्चा जब्त किया गया।
21 जनवरी 2019: सिंगापुर जाने वाले एक यात्री से 14 किलो शार्क फिन्स को जब्त किया गया।
20 दिसंबर 2018: बैंकॉक से आने वाले दो यात्रियों के पास से 4,800 लाल कानों वाले स्लाइडर कछुओं को जब्त किया गया।
12 अक्टूबर 2018: बैंकॉक से आने वाले यात्री के पास से 2,300 लाल कानों वाले स्लाइडर कछुओं को जब्त किया गया।
6 अप्रैल 2018: बैंकॉक जाने वाले एक यात्री से 65 स्टार कछुओं को जब्त किया गया।
अधिक जानकारी के लिए कृपया वन्य जीव संवाद प्रमुख लीजा रोल्स से संपर्क करें।
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